एक छोटे से गाँव में एक गरीब किसान रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था। एक दिन, किसान अपने खेत में काम कर रहा था, जब उसे एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया। बूढ़ा आदमी बहुत थका हुआ और भूखा लग रहा था। किसान ने उसे अपने घर बुलाया और उसे भोजन और आराम दिया।

कर्मों का फल ज़रूर मिलेगा

बूढ़ा आदमी किसान की दयालुता से बहुत खुश हुआ। उसने किसान को कहा, "तुमने मेरे साथ बहुत अच्छा बर्ताव किया है। मैं तुम्हारी मदद के लिए आभारी हूं।"

बूढ़ा आदमी ने किसान को बताया कि वह एक देवदूत है। उसने कहा, "मैं तुम्हारी दयालुता और ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुआ हूं। मैं तुम्हें एक उपहार देना चाहता हूं।"

देवदूत ने किसान को एक जादुई पत्थर दिया। उसने कहा, "यह पत्थर तुम्हारे किसी भी इच्छा को पूरा कर सकता है। लेकिन तुम्हें ध्यान रखना होगा कि तुम अपने कर्मों के अनुसार ही पत्थर का उपयोग करो।"

किसान ने देवदूत का धन्यवाद किया और पत्थर को अपने पास रख लिया। वह बहुत खुश था। उसने सोचा कि अब वह अपने परिवार और दोस्तों की सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता है।

किसान ने पत्थर का उपयोग करके अपने परिवार को एक बड़ा घर और एक अच्छा जीवन दिया। उसने अपने दोस्तों को भी मदद की। वह गाँव का सबसे अमीर और सम्मानित व्यक्ति बन गया।

लेकिन जैसे-जैसे किसान अमीर होता गया, वह स्वार्थी और अहंकारी बन गया। वह दूसरों की मदद करना भूल गया। वह अपने धन और शक्ति का उपयोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए करने लगा।

एक दिन, किसान के पास एक गरीब व्यक्ति आया। उसने किसान से मदद मांगी। किसान ने उस व्यक्ति की मदद करने से इनकार कर दिया। उसने उस व्यक्ति को भगा दिया।

उसी रात, किसान को एक सपना आया। सपने में, देवदूत ने उसे कहा, "तुमने मेरे दिए हुए पत्थर का गलत उपयोग किया है। तुमने अपने कर्मों के अनुसार फल नहीं पाया है।"

सपने से जागने के बाद, किसान को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह बहुत दुखी और पछताता था। उसने देवदूत से माफ़ी मांगी।

देवदूत ने किसान को माफ़ कर दिया। उसने किसान को एक नया मौका दिया। उसने किसान को कहा, "अब तुम अपने कर्मों को सुधारने का मौका पाओगे। अगर तुम अपने कर्मों को सुधार लोगे, तो तुम फिर से खुश और सफल हो सकते हो।"

किसान ने देवदूत के शब्दों को ध्यान में रखा। उसने अपने स्वार्थ और अहंकार को छोड़ दिया। वह फिर से दूसरों की मदद करने लगा।

किसान ने अपने कर्मों को सुधार लिया। वह फिर से खुश और सफल हो गया। वह गाँव के लोगों का प्रियजन बन गया।

नैतिक:

कर्मों का फल ज़रूर मिलेगा। अच्छे कर्मों का अच्छा फल मिलेगा और बुरे कर्मों का बुरा फल मिलेगा। हमें अपने कर्मों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।